Wednesday, October 11, 2017

मौसम के हिसाब से, करवटें बदलती राजनीती



राकेश मेहता का इस्तीफा और ब्लॉक प्रधान नरिंदर शास्त्री के इंतज़ार में कौंसिल की चमचमाती कुर्सी।

राजपुरा (एक्शन पंजाब): ये साल कुछ नए ही रंग लेकर आया है, इस साल ने कुछ लोगों को रुलाया और कुछ को हसाया है। डॉन फिल्म का एक डायलॉग है, कि “डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है” और बिलकुल वैसे ही राजनीती को भी समझना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है। चाहे कुछ भी हो लेकिन सिर्फ आम जनता के मुँह से ही सच्चाई निकलती है और कुछ खुसर फुसर में ये पता चला है कि मिनी सचिवालय हो या बाजार। एक डर तो सभी अफसरों को सत्ता रहा है कि अगर टेबल के नीचे से कुछ भी लिया और विधायक साहिब को पता चल गया तो हमारी खैर नहीं, क्योंकि विधायक स. हरदियाल सिंह कम्बोज ने साफ़ साफ़ कह रखा है कि मैं सब कुछ बर्दाशत कर सकता हूँ, बस किसी गरीब पर अत्याचार और घूसखोरी बर्दाशत नहीं कर सकता। और अगर मुझे कानों कान खबर भी हुई कि किसी ने भी किसी गरीब के साथ धक्का किया है या रिश्वत ली है तो वो मेरे पास माफ़ी मांगने ना आये।
अब दिवाली का त्यौहार चल रहा है और इन दिनों कुछ अफसर साहिबान सारे काम छोड़कर बाजारों में निगाह टिकाकर बैठ जाते है और अपने शिकार ढूढ़ते नजर आते है। लेकिन इस बार विधायक के डर से कोई भी घूसखोर अफसर बाजार में तो क्या बाजार के आसपास भी नजर नहीं आया। चलो खैर इस बार व्यापारी वर्ग की कमाई तो उनकी किस्मत पर निर्भर है लेकिन विधायक साहिब ने अपना हाथ व्यापारियों के सिर पर रख उनको घूसखोरों से तो बचा लिया है।
अब बात करते है राजपुरा कौंसिल की तो राकेश मेहता पेशे से तो एक वकील है, लेकिन इस बार उन्हें पार्षद बनने का शौक पैदा हो गया। तो कौंसिल चुनाव से पहले ही उन्होंने अकाली दल का दामन थाम लिया, लेकिन फिर वार्ड नंबर 9 भाजपा के खाते में जाने से राकेश मेहता कुछ खफा हो गए और आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े और जीत भी गए। उसके बाद तो समझ में नहीं आया कि आखिर वो है कौन सी पार्टी के साथ। कभी भाजपा के साथ तो कभी किसी आजाद उम्मीदवार के साथ। चलो ये भी अच्छा है सबके साथ बनाकर रखनी पड़ती है। ना जाने कौन कब, कहां काम आ जाये। अब कुछ समय पहले राकेश मेहता ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली। और आज अपने पार्षद पद से इस्तीफा दे दिया।
अब बात करते है कांग्रेस के ब्लॉक प्रधान नरिंदर शास्त्री जी की। पूरा शहर जानता है कि शास्री जी चाहे पॉवर में हो या ना हो, उन्होंने कभी किसी को जवाब नहीं दिया और सबसे बड़ी बात कि किसी को लारा नहीं लगाया। हमेशा चेहरे पर मुस्कान लिए अपने कर्म करने पर ध्यान दिया। अब वार्ड नंबर 9 से शास्त्री जी के चुनाव लड़ने की बात से वार्ड नंबर 9 के लोगों की लाटरी लग गई। उनको एक बहुत बढ़िया पार्षद जो मिलने वाला है। अब तो नगर कौंसिल की खाली पड़ी कुर्सी भी नरिंदर शास्त्री जी के लिए गुनगुनाने लगी है “आ जा, तुझको पुकारे मेरा प्यार रे” कम्बोज साहिब और नरिन्द्र शास्त्री जी को बहुत बहुत मुबारकें।

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